Wednesday, February 21, 2024

डॉ. वंदना सेन की दो पुस्तकों का हुआ विमोचन

डॉ. वंदना सेन की दो पुस्तकों का हुआ विमोचन
वर्तमान की युवा पीढ़ी अच्छे साहित्य का निर्माण कर रही है : डॉ. विकास दवे
ग्वालियर। भारतीय संस्कृति के उदात्त चिंतन पर आधारित साहित्य सृजन करने वाली ग्वालियर की साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ. वंदना सेन की दो पुस्तकों का विमोचन समारोह एक भव्य समारोह में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश सम्राट एवं सारस्वत अतिथि पीजीवी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विजय कुमार गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रेमचंद सृजन पीठ के पूर्व निदेशक आचार्य जगदीश तोमर ने की। सरस्वती वंदना का वाचन अर्चना बामनगया ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. विकास दवे ने अत्यंत सारगर्भित और सामयिक स्थितियों पर अपने विवेकपूर्ण उद्बोधन में कहा कि आजकल विमर्श के नाम पर समाज और परिवार को बांटा जा रहा है। भारतीय साहित्य भी विमर्श में उलझता जा रहा है। दलित विमर्श को समरसता विमर्श में बदलने की जरूरत है। इससे भारतीय आत्मा और चेतना अपने आप प्रगट होने लगेगी। वे राष्ट्रोत्थान न्यास के विवेकानंद सभागार में आयोजित डॉ. वंदना सेन की दो पुस्तकों के विमोचन समारोह में अपना संबोधन दे रहे थे।
मप्र साहित्य अकादमी के सहयोग से प्रकाशित डॉ. वन्दना सेन की पुस्तक आलेख संग्रह उदात्त चेतना और काव्य संग्रह एक नया प्रकाश के विमोचन समारोह के मुख्य वक्ता श्री दवे ने कहा कि वर्तमान की युवा पीढी अच्छे साहित्य का निर्माण कर रही है। पार्वतीबाई गोखले विज्ञान महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. वंदना सेन को भारतीय संस्कृति को केंद्र में रखकर पुस्तकें लिखने के लिए उन्हें हार्दिक बधाई देते हुए निरंतर इस पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश वाधवानी एवं आभार प्रदर्शन ज्योति दोहरे ने किया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से देश के प्रसिद्ध कवि तेज नारायण शर्मा बेचैन, अनिल अग्निहोत्री, स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे, स्थानीय संपादक दिनेश राव, डॉ. कुमार संजीव, राजकिशोर वाजपेयी, धीरज शर्मा, डॉ. कमल जैन, डॉ. सुनील पाठक, धीरेंद्र भदौरिया, दिनेश चाकणकर, डॉ. सुखदेव माखीजा, डॉ. पदमा शर्मा, डॉ. मंदाकिनी शर्मा, डॉ. निशांत शर्मा, सुनीता पाठक, करुणा सक्सेना, डॉ. ज्योति उपाध्याय, डॉ. शिवकुमार शर्मा, डॉ. आनंद शर्मा, डॉ. ज्योत्सना सिंह, डॉ. विनोद केशवानी, डॉ. मंजुलता आर्य, महिमा तारे, राजीव अग्रवाल, गोपाल लालवानी, उपेंद्र कस्तूरे, जवाहर प्रजापति, शर्मिला सोनी, आशा त्रिपाठी, व्याप्ति उमड़ेकर, जान्हवी नाईक, मनीष मांझी, उदयभान रजक, आशीष पांडे, रमेश छत्रशाली, उपस्थित रहे।
दृष्टि तय करने से मिलती है सफलता : डॉ. सुरेश सम्राट
मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. सुरेश सम्राट ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में दृष्टि और मानदंड तय करने से सफलता मिलती है। डॉ. वंदना सेन की दोनों पुस्तकों में राष्ट्रीय भाव का संचेतन तो है ही साथ ही वह समाज को सही दिशा का बोध भी कराती हैं। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में हिंदी साहित्य अकादमी ने युवा साहित्यकारों को निखारने का काम किया है।
अच्छी पुस्तकें आज भी पढ़ी जाती हैं : जगदीश तोमर
प्रेमचंद सृजन पीठ मध्यप्रदेश के पूर्व निदेशक जगदीश तोमर ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि यह सही बात है कि आजकल लोगों में पढ़ने की रुचि कम हुई है, लेकिन अच्छी पुस्तकें आज भी पढ़ी जाती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य पुरातन काल से समृद्ध रहा है और इसे आगे बढ़ाने का काम अब युवा साहित्यकारों का जारी रखना चाहिए। सारस्वत अतिथि पीजीव्ही महाविद्यालय ग्वालियर के प्राचार्य डॉ. विजय कुमार गुप्ता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि डॉ. वंदना सेन ने भारतीय संस्कृति को केंद्र में रखकर दो पुस्तकें लिखकर हमारे महाविद्यालय का नाम रोशन किया है।

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