Wednesday, February 14, 2024

माँ की ममता का कोई मुकाबला नहीं 

माँ की ममता का कोई मुकाबला नहीं 

बहुत समय पहले मैंने एक फ़िल्म देखी थी। फ़िल्म का नाम था दीवार। इस फ़िल्म की कहानी कितनी ही सही हो लेकिन फ़िल्म की एक लाइन लंबे समय तक याद की जाती है, जिसमें अभिनेता शशि कपूर अपने भाई अमिताभ बच्चन से कहते थे कि मेरे पास माँ है। यह भले ही एक लाइन की बात कही जा सकती है, लेकिन पूरी फ़िल्म में केवल इसी एक संवाद की बात होती है, अभी तक होती आ रही है और आगे भी होगी, ऐसा अकाट्य विश्वास है। वास्तव में भारतीय संस्कृति में माँ शब्द में एक ऐसा अपनापन है। जिसमें ममता की गहराई है, वात्सल्य का ऐसा अमूल्य खजाना है, जो दुनिया में कहीं अन्यत्र नहीं मिल सकता। इसीलिए हमारे महापुरुषों ने माँ को भगवान का दर्जा दिया है, वहीं किसी भी बच्चे के लिए प्रथम गुरु भी केवल माँ ही है। वास्तव में आज के वातावरण में भी माँ की अद्भुत ममता का कोई मुकाबला नहीं है। कहते हैं किसी व्यक्ति के पास दुनिया की सारी दौलत है और माँ नहीं है, तो वह दुनिया का सबसे बड़ा गरीब आदमी है। दुनिया में धन तो परिश्रम करके भी कमाया जा सकता है, लेकिन माँ का प्यार पैसे से कभी नहीं खरीदा जा सकता है।
कहते हैं भगवान हर समय हर जगह उपलब्ध नहीं हो सकता हैं, इसी लिए भगवान ने माँ को बनाया हैं। हालांकि माँ की महानता को प्रदर्शित करते हुए बहुत कुछ लिखा जा चूका है, पढाया जा चुका हैं पर फिर भी माँ की महिमा इतनी अपरंपार है की फिर भी सब कम ही लगता हैं। वास्तव में माँ की महानता के लिए शब्द दे पाना अत्यंत ही दुष्कर कार्य है, मेरी ओर से माँ की ममता को व्यक्त करने का एक लघुतम प्रयास है, एक ऐसा प्रयास जैसे सूरज को दीपक दिखाना।
एक माँ क्या होती है, वह अपने बच्चे की कितनी चिंता करती है, मुझसे अच्छा कोई नहीं जान सकता। मेरे लिए मेरी माँ ने जो किया है, जितना किया है। वास्तव में वह त्याग कोई नहीं कर सकता। मेरे लिए मेरी माँ भगवान से भी बढ़कर है। लिखने को तो बहुत लिख सकता हूँ, इतना लिख सकता हूँ कि मेरा सामर्थ्य भी कम लगने लगेगा, इसलिए मैं तो यही कहूँगा कि माँ के बारे में लिखना किसी भी लेखक के लिए कठिन ही होगा।
कोई भी माँ हो, माँ सबसे बड़ी होती है। बेटा कितना भी बड़ा हो जाए लेकिन माँ के सामने बेटा हमेशा बच्चा ही रहता है। माँ का उपकार बच्चे पर पूरी उम्र तक बना रहता है। जो माँ मरके भी अपने बच्चे के आसपास रहती है। उसकी हर प्रकार से रक्षा करती है। ऐसा दृश्य हम सभी ने माँ फ़िल्म में देखा भी है। यह है तो एक फ़िल्म का हिस्सा, लेकिन यह सत्य है, मैंने महसूस किया है। मुझे आज भी लगता है कि मेरी माँ आज भी मेरे आसपास है, जो मेरी रक्षा करती है।
भारत में हर वर्ष मई के महीने के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता हैं। ऐसे तो हर दिन माँ की पूजा की जानी चाहिए पर माँ का महत्त्व ओर उनके त्याग के प्रतीक में यह दिन खास तौर पर मनाया जाता हैं। भारत में माँ को पूजने के लिए एक दिन नहीं, पूरी जिंदगी लोग लगा देते हैं। कहा जाता है कि माँ की ममता अनमोल है, उसकी कीमत कोई नहीं चुका सकता है। जन्म से पूर्व भी माँ हमको नौ महीने तक संभाल कर रखती है।
एक बालक माँ के गर्भ में रहता है उस समय से ही पोषण के साथ कई तरह की चीजे अपने माँ से सीखता हैं। मैंने अपने जीवन में कई सारी बाते अपनी माँ से सीखी हैं। हमेशा प्रेम करने वाली माँ कभी-कभी कठोर भी होती है तो सिर्फ अपने बच्चो के भलाई के लिए ही। मुझे इस बात की ख़ुशी हैं की मेरी माँ आज भी मेरे साथ हैं ओर उनके स्नेह ओर आशीर्वाद की शक्ति हमेशा मेरे पास हैं। माँ के उपकारो का वर्णन करना तो असंभव है।
हम यह भली भाँती जानते हैं कि माँ बाप ने हमें आज इस लायक बनाया है, माँ नहीं होती तो हम इस धरती पर भी नहीं होते। लेकिन वर्त्तमान में हम माँ बाप की सेवा से विमुख होते जा रहे हैं। देश में वृद्धाश्रम में अनेक बुजुर्ग अपने बच्चों की अकर्मण्यता को दिखा रहे हैं, इसके बाद भी माँ के दिल में बच्चे के लिए जगह होती है।

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